Thursday, November 5, 2009

Reporting about flood relief in Oct 09 by Sanjay Kumar

अक्टूबर 09 का बाढ़ प्रभावित क्षेत्र (बिहार)  का कार्य रिपोर्ट

पिछले वर्ष 08 को बिहार में आयी प्रलयंकारी बाढ़ से कोशी जोन के सर्वाधिक प्रभावित जिलों में जहां लाखों लोग बेघर हो गये थे। वे अशियाने के तालाश में यत्र-तत्र भटकने को मजबूर थे और सरकार अपना दलितों और बी0पी0एल0 सूचि तैयार करने में लगी थी। ठीक उसी समय हमलोग (एड भोलेन्टियर) मधेपुरा जिला के आलमनगर प्रखंड अंतर्गत महमुदा गांव में 20 घरों को कलस्टर के अन्तर्गत बनबाने का प्रयास कर रहे थे। जिन 20 लोगों को चिन्ह्ति कर काम आगे बढ़ा रहे  थे, वे सभी गरीब बेघर, बेवश और लाचार तो थे लेकिन वे सभी नहीं दलित थे और नहीं उनका नाम बी0पी0एल0 सूचि में शामिल हो पाया था। जिस कारण सरकारी पुनर्वास योजना से उन्हें घर मिलना संभव नहीं था। वहां हमलोगों ने जब काम शुरू किया तो काफी मुश्किलें आई जमीन की समस्या आया, ईट, सीमेंट सहित अन्य सामानों को ले जाने में रास्ता नहीं रहने के चलते भारी दिक्कते आयी लेकिन हमलोग लगातार लाभार्थियों सहित आस-पास के अन्य सामाजिक लोगों के साथ बैठक कर और अपने पहचान के बदौलत सभी समस्या को दूर कर  बीस घर बनाकर महमुदा के चिन्ह्ति बेघरों को सौंपकर ही राहत की सांस ली। आज उस घरों में रहकर जब वह परिवार अपने नये जिंदगी को संवारने का प्रयास करता दिखाई पड़ता है तो उन्हें देखकर एक अलग तरह का सुखद अनुभव महसुस होता है।
    उस रिजल्ट से उत्साहित होकर वैसे ही लोगों के जरूरतों को ध्यान में रखकर खगड़िया जिला के बेलदौर प्रखंड  के 20 बेघर लोगों को चिन्ह्ति कर उनकी बैठक कराकर घर बनबाने की कोशिश कलस्टर अंतर्गत शुरू किया। यहां भी ये वही लोग है जो सरकारी लाभ के दायरे में नहीं आ सके हैं। ठीक महमुदा के तरह ही यहां भी जमीन की समस्या और आड़े आ रहा है। यों तो पूरे बिहार में ही जमीन की समस्या बड़ी समस्या हैं जिससे यदा-कदा बड़ी-बड़ी घटना भी घटती रहती है फिर भी सेवा भाव से जब हमलोग समर्पित होकर लगकर काम को सफल करते हैं तो काफी सकुन मिलता है और अलग तरह का विश्वास भी बढ़ता है। अब तक हमलोग अकहा में लाभार्थियों और दूसरे स्थानीय लोगों के साथ दो बैठकें कर चुकें है। यहां एक और नयी समस्या पैदा हुई कि यहां जो पैसा उपलब्ध हुआ है वह पन्द्रह घर के लिए ही ऐसी स्थिति में हमें लगातार बैठक कर उन्हें चिन्ह्ति 20 में से उन्हीं की राय से पन्द्रह लोगों को चुनने की चुनौती है, जिसे शायद हम जल्द ही चुनकर काम को आगे बढ़ायेंगे  और इस काम को जनवरी 2010 तक पुरा होने की आशा करते हैं।
स्वरोजगार अभियान के तहत रिक्सा, ठेला वितरण हेतु कार्य योजना
बाढ़ के कारण जब इस क्षेत्र से और तो और खेतों में बालू भरने के कारण कृषि संकट पैदा हुई । जिस कारण लोगों के सामने रोजगार के भारी संकट पैदा हुई और रोजी रोटी के तलाश में लोग बड़े पैमाने पर ट्रेनों में भेड़-बकड़ियों के तरह ठूस कर एवं छत पर चढ़कर जान जोखिम में डालकर यहाँ से दूसरे राज्यों के लिए पलायन शुरू किया तो हमलोग ।पक प्दकपं की ओर से खगड़िया, मधेपुरा और सहरसा जिला के 30 बेरोजगारों, गरीब, नौजवानों को चिन्ह्ति कर स्वरोजगार अभियान के तहत रिक्सा, ठेला उपलब्ध कराया जो क्षेत्र में चर्चा का विषय है। आज वह सभी तीस परिवार स्वाबलंबी होकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं।
    इस कार्यक्रम की सफलता को देखते हुए पिछले महीने से ही 20 और बेवश गरीब बेरोजगार को चिन्ह्ति करने का काम शुरू किये हैं, जिसे जल्द ही चिन्ह्ति करने का काम पुरा कर अगले महीने दिसम्बर 09 के दूसरे सप्ताह तक 20 बेरोजगार युवाओं को रिक्सा, ठेला उपलब्ध करा दिया जाएगा।
सोलर लैम्प वितरण हेतु चयन का काम शुरू:-
पिछले दिनों इस प्रभावित क्षेत्रों में  490 परिवारों को चिन्ह्ति कर सोलर लैम्प उपलब्ध कराया गया था। मधेपुरा एवं खगड़िया जिला के ये पिड़ित परिवार प्रायः काफी पिछड़े हुए इलाके से आते हैंे। जहां न तो आज तक बिजली पहुंच है और जहां न तो उसके परिवार में काम के तलाश में रहने के कारण कोई युवा रह रह रहे हैं। रह रहे हैं तो सिर्फ उनके बुजुर्ग मां-बाप एवं उनके छोटे-छोटे बच्चे जिसके पढ़ाई शाम ढ़लते ही रोशनी के अभाव में बंद हो जाते थे। और रात के अंधेरे में कई तरह के विषैले कीड़े-मकोड़े के खतरे भी थे। ऐसे में उनके बीच सोलर लैम्प काफी सार्थक साबित हुआ है।
    इसी को ध्यान में रखकर हमलोग पुनः खगड़िया एवं मधेपुरा जिला के दो-दो गांव को चिन्ह्ति कर 300 वेसे ही परिवारों की सूची बनाने में लगे हैं जिन्हें नवम्बर 09 तक सोलर लैम्प उपलब्ध करा दिया जाएगा।

संजय कुमार





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